आखिर समाज में छात्रावास की जरूरत ही क्यों है

छात्रावास की जरूरत

दोस्तो आज सोच में बदलाव आने से समाज की बहुत सी प्रतिभाएं शिक्षा में भी आगे बढ़ रही है, उच्च पदों पर आसीन हो रहे है लेकिन यह अभी बहुत ही कम है, इन उच्च पदों के लिए उच्च शिक्षा का होना अति आवश्यक है इसका हमारे समाज में प्रतिशत हमेशा ही बहुत कम रहा है। इस पर चिंतन मनन सभी बुद्धिजीवी जहां बैठते हैं वहा पर अवश्य होता है परंतु प्रतिफल वही ढाक के तीन पात।

उच्च शिक्षा कितनी जरूरी है

अधिकांश उच्च शिक्षा केवल उच्च आय वालो के बच्चें यानि आर्थिक रूप से कमजोर शहरों की मंहगी सुविधा से नाममात्र आगे बढ़ रहे हैं अथवा हमारे लिए एक सुगम रास्ता दक्षिण की तरफ पलायन सर्वाधिक पसंद का मार्ग, हालांकि यह एक हद तक सही भी है क्योंकि इससे समाज आर्थिक रूप से मजबूत हुआ हैं। परंतु अब दक्षिण भारत में भी नौजवानों के लिए सरल मार्ग नहीं रहा है वहां भी उच्च शिक्षित युवाओं ने स्मार्ट बिजनेस शुरू किये है और यह जता दिया है कि उच्च शिक्षा कितनी जरूरी है हर क्षेत्र में!

समारोह में अतिथि रूप में शिक्षा के लिए बड़े-बड़े भाषण देते हुए चिंता जाहिर करने से कुछ नहीं हो सकता, उसी तरह से इतनी बड़ी भूमिका बनाकर लंबा चौड़ा लेख लिख लेने मात्र से हमारे समाज की प्रतिभाएं पढ नही सकेगीे जब तक हम धरातल पर उन्हें उच्च शिक्षा के लिए बडे शहरों में सुविधाएं नहीं मिलेगी तब तक प्रतिभाएं उच्च शिक्षा के लिए दक्षिण भारत ही पलायन करेगी। तो हम क्या उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं तब एक ही उत्तर मिलता है कि इन बडे शहरों में हमारे समाज के भी छात्रावास हो।

छात्रावास की जरूरत

छात्रावास समाज विकास में बहुत ही आवश्यक

इसी क्रम में जेतारण, बिलाड़ा, सोजत, पाली, ब्यावर, रानी, मारवाड़ जंक्शन, राणावास एवं जोधपुर में हमारे समाज के छात्रावास इन प्रतिभाओं को बखूबी आगे बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं एवं इन छात्रावासो से निकलकर किसी मुकाम पर पहुंचकर पुनः प्रतिभा जब उस छात्रावास में कदम रखती हैं तब ऐसा लगता है कि वह छात्रावास बाहे फैलाकर उस प्रतिभा का हार्दिक स्वागत कर रहा है एवं छात्रावास में रहने से छात्र में सामाजिकता की भावना पनपती है जो समाज विकास में बहुत ही आवश्यक है।

छात्रावास के अलावा जरूरत मंद व आर्थिक रूप से कमजोर छात्र को सहायता के क्रम में समाज की बहुत सारी संस्थाएं बनी हुई है जो समय समय पर आर्थिक रुप से कमजोरो की मदद भी कर रही है लेकिन यह कोई इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं हैं।

दोस्तों उदयपुर में छात्रावास अपनी मंजिल की तरह निरंतर बढ़ता जा रहा है। यहां पर लगभग 3 बीघा जमीन आप सबके सहयोग से क्रयकर समाज के नाम पर रजिस्ट्री व भू-रुपांतरण हो चुका है, UIT उदयपुर का भू-रुपांतरण शुल्क व विकास शुल्क का नोटिस भी जारी हो चुका है, यह शुल्क जमा होते ही पट्टा व निर्माण स्वीकृति मिल जायेगी! निर्माण की तरफ बढते छात्रावास हेतु समाज के भामाशाह बन्धुओं की तरफ से 40 कमरों, सेमीनार हाॅल व कई बड़ी घोषणाएं हो चुकी है। आशा हैं मां आईजी के आशीर्वाद से 2023 में ही निर्माण कार्य शुरू हो सकता है आप सब के सहयोग से।

छात्रावास की जरूरत

भारत ही नहीं बल्कि विश्व में पर्यटक नगरी के रूप में, झीलों की नगरी उदयपुर को कौन नहीं पहचानता। जलवायु की दृष्टिकौण से या हरियाली तथा पर्वतों की सुरम्य वादियों में झीलों की नगरी में शिक्षा के भी बहुत से बड़े बडे केंद्र है जहां पांच पांच उच्च कोटी के विश्वविद्यालय, पांच पांच मेडिकल कोलेज, कई इंजीनियरिंग, B.Ed कॉलेज, फार्मेसी कॉलेज और सबसे बड़ा विश्व प्रसिद्ध आई आई एम-यु।

दोस्तों उदयपुर मे जहां अपनी समाज के लगभग 500 से 550 छात्र विभिन्न कोर्सेज मे अध्ययनरत है। ऐसे में उदयपुर में समाज छात्रावास कितना जरूरी है, यह आप भी सोच सकते हैं।

दोस्तों तन, मन व धन से सहयोग एवं समाज मे व सोशल मिडिया के माध्यम से भी प्रसार-प्रचार कर इस बहुप्रतीक्षित सामाजिक कार्य मे पुरा करने व करवाने अपना योगदान अवश्य देवे। आप सब के सहयोग के बिना यह असंभव हैं।

दौलाराम सोलंकी, धणा, उदयपुर

दौलाराम सोलंकी, धणा, उदयपुर।

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