प्रत्येक व्यक्ति को कभी ना कभी यह जरूर लगता है कि वह जितनी मेहनत कर रहा है, उसके अनुसार उसे परिणाम नहीं मिल रहे हैं। यह होता भी है, अनेक व्यक्ति कड़ी मेहनत करते हैं, दिनभर दौड़धूप करते रहते हैं, कठिन परिश्रम करते हैं, लेकिन फिर भी उनके जीवन में तरक्की दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती। वे अनेक वर्षों तक अपनी लाइफ को ठीक-ठाक स्थिति में लाने का संघर्ष ही करते रहते हैं। यदि ज्योतिष की दृष्टि में इस स्थिति को देखें, तो इसे भाग्य का कमजोर होना कहा जाता है।
कैसे पता करें भाग्य में बाधा
आपका भाग्य कैसा है, यह निश्चित रूप से आपकी कुंडली के नवम भाव से ही पता लगता है, लेकिन नवम से नवम अर्थात पंचम भाव और पंचमेश की स्थिति का भी निरीक्षण ध्यानपूर्वक करना चाहिए।
यदि नवम के साथ पंचम भाव में भी पाप ग्रह हों तो भाग्योदय में बाधा आती है। भाग्य, यश और सम्मान के दाता सूर्य की स्थिति, उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि, नीच ग्रहों की दृष्टि होने पर भाग्योदय नहीं हो पाता है।
यदि नवम भाव में बृहस्पति नीच का होकर पाप ग्रहों के प्रभाव में है तो धन, वैभव, नौकरी, पति, पुत्र से जुड़ी समस्याएं आती हैं। भाग्योदय में बाधा की अनेक स्थितियां हो सकती हैं, जो आपको कोई ज्ञाता ज्योतिषी बता देगा।
भाग्य की बाधा कैसे दूर करें
- सबसे पहले देखें कि आपकी कुंडली के नवम भाव में कौन सा ग्रह है, उस ग्रह की मजबूती और प्रसन्नता के उपाय करने से भाग्योदय की बाधा दूर होती है।
- नवम भाव में बैठे ग्रह यदि शुभ हैं, जैसे सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र हो तो ये शुभ है। अशुभ ग्रहों मंगल, शुक्र, शनि, राहु, केतु हो तो इनके उपाय बिलकुल ना करें।
- रूद्राक्ष की माला से प्रतिदिन ठीक सूर्योदय के समय पूर्व की ओर मुंह करके सूर्य की उपस्थिति में गायत्री मंत्र का जाप करने से भाग्य प्रबल होता है।
- प्रात:काल उठकर माता-पिता, घर के बुजुर्ग, गुरु के चरण स्पर्श करने से भाग्योदय शीघ्र होता है।
- वृद्धाश्रम, दिव्यांग होम, अनाथालय में समय-समय पर खाने की वस्तुएं, कपड़े दान करते रहें।
- कोशिश करें कि सूर्यास्त के बाद ना तो किसी से उधार लें और ना उधार दें।
- सप्ताह में किसी भी एक दिन अपने ईष्ट देव के मंदिर में दर्शन करने जरूर जाएं।
- शिवजी का अभिषेक रूद्र अष्टाध्यायी से करने से भाग्य की बाधाएं दूर होती हैं।