नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश पूरी निष्ठा के साथ गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है और वैश्विक द्वन्द्वों के बीच भी मानवता की प्रगति, शांति एवं स्थिरता के काम कर रहा है।
मोदी ने गुरुवार को रात में लालकिले पर गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व में शिरकत करते हुए ये उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि गुरुओं के आशीर्वाद से भारत अपने गौरव के शिखर पर पहुंचेगा जो अपनी प्रगति में विश्व की प्रगति एवं कल्याण की कामना करता है।
केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिरकत, केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी, जी किशन रेड्डी, अर्जुनराम मेघवाल, देवसिंह चौहान, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के प्रधान सरदार हरमीत सिंह कालका, पूर्व अध्यक्ष सरदार मनिन्दरजीत सिंह सिरसा भी उपस्थित थे।
जिस लालकिले में गुरु तेग बहादुर को मौत का फरमान सुनाया गया था और जहां गुरु तेग बहादुर का बलिदान हुआ। उसी स्थान पर उनके 400वें प्रकाश पर्व का भव्य उत्सव में शामिल होकर सिख समुदाय के लोग भावविह्वल दिखे।
कार्यक्रम में सरदार हरमीत सिंह कालका ने प्रधानमंत्री को शाल ओढ़ा कर एवं सरोपा भेंट करके स्वागत किया। पंजाब सरकार में पर्यटन मंत्री सरदार हरजोत सिंह बैंस ने प्रधानमंत्री को अमृतसर स्थित दरबार साहिब स्वर्ण मंदिर की प्रतिकृति भेंट की।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 400 रुपए मूल्य का एक स्मारक सिक्का तथा 25 रुपए मूल्य का डाक टिकट जारी किया। देश के विभिन्न हिस्सों से रागी और बच्चों ने वाद्य यंत्रों के साथ ‘शबद कीर्तन’ प्रस्तुत किया।
पीएम मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर एक डाक टिकट और सिक्के भी जारी किए, कहा- आज मुझे गुरू को समर्पित स्मारक डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का भी सौभाग्य मिला है. मैं इसे हमारे गुरूओं की विशेष कृपा मानता हूं.
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मोदी ने इस अवसर पर सिख समाज के अनुयायियों को संबोधित करते हुए कहा, “अभी शबद कीर्तन सुन कर जो शांति मिली, वो शब्दों में अभिव्यक्त करना मुश्किल है। आज मुझे गुरू को समर्पित स्मारक डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का भी सौभाग्य मिला है। मैं इसे हमारे गुरूओं की विशेष कृपा मानता हूं।” उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है। इस पुण्य अवसर पर सभी दस गुरुओं के चरणों में नमन करता हूँ। आप सभी को, सभी देशवासियों को और पूरी दुनिया में गुरुवाणी में आस्था रखने वाले सभी लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई देता हूँ।”
उन्होंने कहा कि ये लालकिला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है। इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है। आजादी के अमृत महोत्सव में लालकिले पर ही गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व का आयोजन भी बहुत विशेष हो गया है। उन्होंने कहा कि आजाद हिन्दुस्तान, अपने फैसले खुद लेने वाला और परोपकार के लिए आगे रहने वाला हिन्दुस्तान देखने के लिए कोटि कोटि लोगों ने खुद को खपा दिया। उन्होंने कहा कि ये भारतभूमि, सिर्फ एक देश ही नहीं है बल्कि हमारी महान विरासत है, महान परंपरा है। इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ों-हजारों सालों की तपस्या से सींचा है, उसके विचारों को समृद्ध किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यहाँ लालकिले के पास में ही गुरु तेगबहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है जो हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था। उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आँधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।
श्री मोदी ने कहा, “गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने, भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है। बड़ी-बड़ी सत्ताएँ मिट गईं, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए, लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है। …दुनिया आज नये भारत को देख रही है और आज भी मानवता की रक्षा के लिए उम्मीद लगाये हुए है।”
उन्होंने कहा कि जब जब देश पर कोई चुनौती आयी तब तब कोई पवित्र आत्मा देश को दिशा दिखाने आती है। गुरु नानकदेव जी ने पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया। गुरु तेगबहादुर जी के अनुयायी हर तरफ हुये। पटना में पटना साहिब और दिल्ली में रकाबगंज साहिब, हमें हर जगह गुरुओं के ज्ञान और आशीर्वाद के रूप में ‘एक भारत’ के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहा, “मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे गुरुओं की सेवा में कितना कुछ करने को मिला।” उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष ही हमारी सरकार ने, साहिबजादों के महान बलिदान की स्मृति में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का निर्णय लिया। सिख परंपरा के तीर्थों को जोड़ने के लिए भी हमारी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। उत्तराखंड में हेमकुंट साहिब तक रोप वे बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि श्री गुरुग्रंथ साहिब जी हमारे लिए आत्मकल्याण के पथप्रदर्शक के साथ साथ भारत की विविधता और एकता का जीवंत स्वरूप भी हैं। इसलिए, जब अफ़ग़ानिस्तान में संकट पैदा होता है, हमारे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूपों को लाने का प्रश्न खड़ा होता है, तो भारत सरकार पूरी ताकत लगा देती है। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए खतरा नहीं पैदा किया। आज भी हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं। हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो उसमें पूरे विश्व की प्रगति लक्ष्य का सामने रखते हैं। योग का प्रसार विश्व के स्वास्थ्य की कामना के साथ करते हैं।
मोदी ने कहा कि आज का भारत वैश्विक द्वन्द्वों के बीच शांति एवं स्थिरता के लिए काम कर रहा है। भारत अपनी सुरक्षा एवं रक्षा के लिए दृढ़ एवं अटल है। यह गुरुओं की परंपरा है। नई सोच, सतत परिश्रम और शत प्रतिशत समर्पण, ये आज भी हमारे सिख समाज की पहचान है। आजादी के अमृत महोत्सव में आज देश का भी यही संकल्प है। हमें अपनी पहचान पर गर्व करना है। हमें लोकल पर गर्व करना है, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है। हमें पूरा भरोसा है कि गुरुओं के आशीर्वाद से भारत अपने गौरव के शिखर पर पहुंचेगा।
दो दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में गुरु तेग बहादुर जी के जीवन को दर्शाने वाला एक भव्य लाइट एंड साउंड शो भी होगा। इसके अलावा सिखों की पारंपरिक मार्शल आर्ट ‘गतका’ का भी आयोजन किया जाएगा।
यह कार्यक्रम नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के उपदेशों को रेखांकित करने पर केंद्रित है। गुरु तेग बहादुर जी ने विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उन्हें मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए मार डाला गया था। उनकी पुण्यतिथि 24 नवंबर हर साल शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है। दिल्ली में गुरुद्वारा सीसगंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं। उनकी विरासत इस राष्ट्र के लिए एकजुटता की एक महान शक्ति के रूप में कार्य करती है।
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